Friday, April 26, 2024
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विशेष लेख : पन्नाशी आणि साठीचे दशक निम्मी यांनी चांगलाच गाजवला

डॉ  अरुण  स्वादी

हिंदी  चित्रपट  सृष्टीतील  पन्नाशी  आणि  साठीचे  दशक गाजवणारी  ख्यातनाम  अभिनेत्री  निम्मी चे काल  निधन झाले. नाव निम्मी  असले  तरी ती  पूर्ण  म्हणजे  88 वर्ष  जगली. म्हटलं  तर  ती  फार  नशीबवान  होती. कारण  तिला  पहिला  ब्रेक  दिला  साक्षात  राज कपूरने… राजने  तिला  पाहिलं , त्याला ती आवडली , मेहबूब  खानचं  ती  फाईंड  होती .

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राजने त्याला  गळ  घातली.आणि  नर्गिस  मुख्य  रोल  करत  असताना  तिला  मोठी  भूमिका  दिली. तिचा  या  चित्रपटात  नायक  होता  प्रेमनाथ. त्यावेळी  तो पोरकट  चाळे  करत  नसावा. राजने  बरसात चे  टायटल  सॉंग  सुद्धा  “बरसा सतमे ताक  धीना  धिन “निम्मीला  दिलं. जिया  बेकरार  है हे  आणखी  एक  फंडा  गाणंही  तिच्यावर  चित्रित  केलं .

तिचा  देहाती लडकीचा  बाज सर्वाना आवडला. शिवाय मूळच्या  या  नवाब  बानूचं  निम्मी  हे  फिल्मी  नामकरणही  राज  कपूरनेच  केलं.. का  तर  म्हणे  आग  पिक्चर मधल्या  हिरोईन  चं  नाव  निर्मला  होतं , राज तिला  निम्मी  म्हणायचा. तेच नाव तिने  या नवाब  बानूला  दिलं

राज  कपूरचा  बरसात  तिच्यासाठी  जॅकपॉट  ठरला. त्यानंतर  निम्मीने  राज,  देव आनंद  बरोबर  लीड  रोल  केले आणि  फिल्मी  दुनियेत  तिने  छान बस्तान बसवलं. तिचा  तरोताजा  चेहरा,  मोठे  मोठे  डोळे  आणि  खेड्यातल्या  मुलीच्या  चेहऱ्यावर  असणारे  चंचल  पण निरागस भाव  खऱ्या  अर्थाने  भाव  खाऊन गेले.

मेहबूब  खान  म्हणजे  त्याकाळचं  मोठं  प्रस्थ.. सुभाष  घई  किंवा संजय  लीला  भन्साळी  सारखं. खरं  तर  राजच्या  आधीच  त्यानं  निम्मीला  हेरलं  होतं. पण  अंदाज च्या  सेटवर  राज  कपूरने  निम्मीला  पाहिलं  आणि  चक्क  उचलून बरसात मध्ये आणून ठेवलं.. अंदाज  नंतर  मेहबूब  खानने  काढलेल्या त्याच्या  ब्लॉकबस्टर  मल्टि स्टारर  आन मध्ये  तिला  संधी  मिळाली. चित्रपटाचा नायक होता  यु सुफ  खान  ऊर्फ  दिलीपकुमार.. या सि नेमात  ती  मुख्य  हिरोईन  नव्हती  पण  भलताच  भाव खाऊन गेली.

हिंदी  चित्रपट सृष्टी चा  बादशाह  असलेल्या  दिलीपकुमार बरोबर तिचे  पाच चित्रपट  आले. दीदार, अमर  हे  सुरुवातीचे  असावेत. पुढे  तिने  दिलीपकुमार बरोबर  दाग मध्येही   मुख्य  अभिनेत्रीचा  रोल  केला  आणि  तिचं  फार  मोठं  स्वप्न  पूर्ण  झालं. मग उडन खटोला  आला  आणि  भरपूर  चालला. त्या  काळात  निम्मीला  अपयश  माहित  नव्हतं. ती  हात  लावायची  त्याचं  सोनं  व्हायचं..

बसंत  बहार  आणि  भाई  भाई  हे  तिचे  संगीत  चित्रपट… ते  खूप  चालले. मात्र  इथपर्यंत  नशिबाने  साथ  दिल्यावर  तिच्या  सर्वात  महत्वाकांक्षी  चित्रपटासाठी  ते  रुसलं… के  असिफ  खूप  वजनदार  निर्माते  व दिग्दर्शक.. लैला  मजनूवरचा  लव्ह  अँड  गॉड  हा  चित्रपट  त्यांचं  स्वप्न  होतं. पण  प्रथम  मजनू गुरुदत्त चा  मृत्यू  झाला.

त्याच्या  ऐवजी  आलेला  संजीव कुमारही  गेला आणि   अपशकुनी ठरलेल्या  या सिनेमाचा  निर्माता  के  आसिफ ही मध्यंतरी  अल्लाकों  प्यारा  झाला. पुढे  हा  सिनेमा  कसातरी आला  पण  त्याची  मजा  निघून गेली होती. या पिक्चर ने  निम्मीला  टॉप  रँकिंग  दिलं  असतं  पण तसं  होणार  नव्हतं. पुढे  बी  आर  चोपडांचा  साधना  आणि  नंतर वो  कौन  थी  नाकारण्याची  अक्षम्य  चूक  तिने  केली हे  मात्र  खरे…

राज कपूर,  दिलीप  कुमार , मेहबूब  खान, के  आसिफ  यांचा  वरदहस्त  असलेल्या  निम्मीचे  लग्न झालं  होतं  एका  फिल्मी  व्यक्तीशी, पटकथाकार  रझा  यांच्या शी… तिचा संसारही  गुण्यागोविंदानं  चालला  होता.. काही  वर्षांपूर्वी  तिने  कधीही चुंबन  न घेतलेली  मी हिंदी  अभिनेत्री  आहे  असे  बोलून  खळबळ  उडवून दिली  होती.

तिची  एक आख्यायिका  मला  आज  आठवतेय. आन चा  प्रीमियर  शो  लंडनला  झाला  होता. त्यावेळी  त्या  काळच्या  एका सुप्रसिद्ध  विदेशी  नटाने , त्याचं  नाव  फिन  असावं,  तिच्याकडे  हाताचं चुंबन मागितलं  होतं.. त्याची विनंती  निम्मीने  साफ  नाकारली  होती  म्हणे..ती म्हणाली  मी  भारतीय  स्त्री  आहे . ही  आख्यायिका  खरी की  खोटी  हे  देव  जाणे.. एक  मात्र  खरे  बॉलिवूडची एक  दर्जेदार  अभिनेत्री  काळाच्या  पडद्या आड  गेली  आहे… तिच्यासाठी  तिनेच म्हटलेलं  गाणं  आज आठवतंय.. “तुम  न जाने  किस  जहाँमें  खो  गये “

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